सर्दी का मौसम था, कंपकंपा देने वाली ठंड थी। शुक्र था office का काम कल ही निबट गया था।
दिल्ली से उस का मसूरी आना सार्थक हो गया था। boss उस से खुश हो जाएंगे।
नितिन खुद को काफी हलका महसूस कर रहा था। मातापिता की वह इकलौती संतान थी। उस के अलावा 2 छोटी बहनें थीं। पिता नौकरी से retired थे। बेटा होने के नाते घर की जिम्मेदारी उसे ही निभानी थी। वह बचपन से ही महत्त्वाकांक्षी रहा है। multinational company में उसे job पढ़ाई खत्म करते ही मिल गई थी। आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक तो वह था ही, बोलने में भी उस का जवाब नहीं था। लोग जल्दी ही उस से प्रभावित हो जाते थे। कई लड़कियों ने उस से दोस्ती करने की कोशिश की लेकिन अभी वह इन सब पचड़ों में नहीं पड़ना चाहता था।
नितिन ने सोचा था मसूरी में उसे 2 दिन लग जाएंगे, लेकिन यहां तो एक दिन में ही काम निबट गया. क्यों न कल मसूरी घूमा जाए. नितिन मजे से गरम कंबल में सो गया।
अगले दिन वह मसूरी के माल रोड पर खड़ा था. लेकिन पता चला आज वहां taxi व बसों की हड़ताल है।
‘उफ़ , इस हड़ताल को भी आज ही होना था,’नितिन अभी सोच में पड़ा ही था कि एक taxi वाला उस के पास आ कानों में फुसफुसाया, ‘साहब, कहां जाना है।’
‘अरे भाई, मसूरी घूमना था लेकिन इस हड़ताल को भी आज होना था।’
‘कोई दिक्कत नहीं साहब, अपनी taxi है न. इस हड़ताल के चक्कर में अपनी वाट लग जाती है. सरजी, हम आप को घुमाने ले चलते हैं लेकिन आप को एक मैडम के साथ टैक्सी शेयर करनी होगी. वे भी मसूरी घूमना चाहती हैं. आप को कोई दिक्कत तो नहीं,’ ड्राइवर बोला।
‘कोई चारा भी तो नहीं. चलो, कहां है taxi ।’
ड्राइवर ने दूर खड़ी taxi के पास खड़ी लड़की की ओर इशारा किया।
नितिन ड्राइवर के साथ चल पड़ा।
‘हैलो, मैं नितिन, दिल्ली से।’
‘हैलो, मैं पूजा , लखनऊ से।’
‘मैडम, आज मसूरी में हम 2 अनजानों को taxi शेयर करना है. आप comfortable तो रहेंगी न।’
‘अ…ह थोड़ा uncomfortable लग तो रहा है पर it’s OK ।’
इतने छोटे से परिचय के साथ गाड़ी में बैठते ही ड्राइवर ने बताया, ‘सर, मसूरी से लगभग 30 किलोमीटर दूर टिहरी जाने वाली रोड पर शांत और खूबसूरत जगह धनौल्टी है। आज सुबह से ही वहां बर्फबारी हो रही है। क्या आप लोग वहां जा कर बर्फ का मजा लेना चाहेंगे?’
मैं ने एक प्रश्नवाचक निगाह पूजा पर डाली तो उस की भी निगाह मेरी तरफ ही थी। दोनों की मौन स्वीकृति से ही मैं ने ड्राइवर को धनौल्टी चलने को हां कह दिया।
गूगल से ही थोड़ाबहुत मसूरी और धनौल्टी के बारे में जाना था. आज प्रत्यक्षरूप से देखने का पहली बार मौका मिला है. खूबसूरत कटावदार पहाड़ी रास्ते पर हमारी टैक्सी दौड़ रही थी. एकएक पहाड़ की चढ़ाई वाला रास्ता बहुत ही रोमांचकारी लग रहा था।
बगल में बैठी पूजा को ले कर मेरे मन में कई सवाल उठ रहे थे। मन हो रहा था कि पूछूं कि यहां किस सिलसिले में आई हो, अकेली क्यों हो लेकिन किसी अनजान लड़की से एकदम से यह सब पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।
पूजा की गहरी, बड़ीबड़ी आंखें उसे और भी खूबसूरत बना रही थीं। न चाहते हुए भी मेरी नजरें बारबार उस की तरफ उठ जातीं।
मैं और पूजा बीचबीच में थोड़ा बातें करते हुए मसूरी के अनुपम सौंदर्य को निहार रहे थे। हमारी गाड़ी कब एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पर पहुंच गई, पता ही नहीं चल रहा था। कभी-कभी जब गाड़ी को हलका सा break लगता और हम लोगों की नजरें खिड़की से नीचे जातीं तो गहरी खाई देख कर दोनों की सांसें थम जाती लगता कि जरा सी चूक हुई तो बस काम तमाम हो जाएगा।
जिंदगी में आदमी भले कितनी भी ऊंचाई पर क्यों न हो पर नीचे देख कर गिरने का जो डर होता है, उस का पहली बार एहसास हो रहा था।
‘अरे भई, ड्राइवर साहब, धीरे… जरा संभल कर,’ पूजा मौन तोड़ते हुए बोली।
‘मैडम, आप परेशान मत होइए. गाड़ी पर पूरा control है मेर अच्छा सरजी, यहां थोड़ी देर के लिए गाड़ी रोकता हूं. यहां से चारों तरफ का काफी सुंदर दृश्य दिखता है।’
बचपन में पढ़ते थे कि मसूरी पहाड़ों की रानी कहलाती है। आज reality देखने का मौका मिला।
अभी तक शांत सी रहने वाली पूजा धीरे से बोल उठी, ‘इस ठंड में यदि एक कप चाय मिल जाती तो अच्छा रहता।’
‘चलिए, पास में ही एक चाय का स्टौल दिख रहा है, वहीं चाय पी जाए,’ मैं पूजा से बोला।
हाथ में गरम दस्ताने पहनने के बावजूद चाय के प्याले की थोड़ी सी गरमाहट भी काफी सुकून दे रही थी।
मसूरी के सौंदर्य को अपनेअपने कैमरों में कैद करते हुए जैसे ही हमारी गाड़ी धनौल्टी के नजदीक पहुंचने लगी वैसे ही हमारी बर्फबारी देखने की आकुलता बढ़ने लगी। चारों तरफ देवदार के ऊंचेऊंचे पेड़ दिखने लगे थे जो बर्फ से ढ़के थे। पहाड़ों पर ऐसा लगता था जैसे किसी ने सफेद चादर ओढ़ा दी हो पहाड़ एकदम सफेद लग रहे थे।
पहाड़ों की ढलान पर काफी फिसलन होने लगी थी। बर्फ गिरने की वजह से कुछ भी साफ-साफ नहीं दिखाई दे रहा था। कुछ ही देर में ऐसा लगने लगा मानो सारे पहाड़ों को प्रकृति ने सफेद रंग से रंग दिया हो देवदार के वृक्षों के ऊपर बर्फ जमी पड़ी थी, जो मोतियों की तरह अप्रतिम आभा बिखेर रही थी।
गाड़ी से नीचे उतर कर मैं और पूजा भी गिरती हुई बर्फ का भरपूर आनंद ले रहे थे। आसपास अन्य पर्यटकों को भी बर्फ में खेलतेकूदते देख बड़ा मजा आ रहा था।
‘सर, आज यहां से वापस लौटना मुमकिन नहीं होगा। आप लोगों को यहीं किसी guest house में रुकना पड़ेगा,’ taxi ड्राइवर ने हमें सलाह दी।
‘चलो, यह भी अच्छा है यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को और अच्छी तरह से enjoy करेंगे,’ ऐसा सोच कर मैं और पूजा guest house book करने चल दिए।
‘सर, guest house में इस वक्त एक ही कमरा खाली है। अचानक बर्फबारी हो जाने से यात्रियों की संख्या बढ़ गई है आप दोनों को एक ही रूम share करना पड़ेगा,’ ड्राइवर ने कहा।
‘क्या? room share ?’ दोनों की निगाहें प्रश्नभरी हो कर एकदूसरे पर टिक गईं। कोई और रास्ता न होने से फिर मौन स्वीकृति के साथ अपना सामान guest house के उस रूम में रखने के लिए कह दिया।
guest house का वह कमरा खासा बड़ा था. डबलबैड लगा हुआ था. इसे मेरे संस्कार कह लो या अंदर का डर मैं ने पूजा से कहा, ‘ऐसा करते हैं, बैड अलग-अलग कर बीच में टेबल लगा लेते हैं।’
पूजा ने भी अपनी मौन सहमति दे दी।
हम दोनों अपनेअपने बैड पर बैठे थे। नींद न मेरी आंखों में थी न पूजा की. पूजा के अभी तक के साथ से मेरी उस से बात करने की हिम्मत बढ़ गई थी।अब रहा नहीं जा रहा था, बोल पड़ा, ‘तुम यहां मसूरी क्या करने आई हो।’
पूजा भी शायद अब तक मुझ से सहज हो गई थी. बोली, ‘मैं दिल्ली में रहती हूं।’
‘अच्छा, दिल्ली में कहां?’
‘सरोजनी नगर।’
‘अरे, what coincident . मैं INA में रहता हूं।’
‘मैं ने हाल ही में पढ़ाई complete की है 2 और छोटी बहनें हैं पापा रहे नहीं. मम्मी के कंधों पर ही हम बहनों का भार है। सोचती थी जैसे ही पढ़ाई पूरी हो जाएगी, मम्मी का भार कम करने की कोशिश करूंगी, लेकिन लगता है अभी वह वक्त नहीं आया।
‘दिल्ली में job के लिए interview दिया था। उन्होंने सैकंड इंटरव्यू के लिए मुझे मसूरी भेजा है। वैसे तो मेरा selection हो गया है, लेकिन company के terms and conditions मुझे ठीक नहीं लग रहीं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं?’
‘इस में इतना घबराने या सोचने की क्या बात है। job पसंद नहीं आ रही तो मत करो। तुम्हारे अंदर काबिलीयत है तो job दूसरी जगह मिल ही जाएगी। वैसे, मेरी कंपनी में अभी न्यू वैकैंसी निकली हैं। तुम कहो तो तुम्हारे लिए कोशिश करूं।’
‘सच, मैं अपना CV तुम्हें मेल कर दूंगी।’
‘शायद, वक्त ने हमें मिलाया इसलिए हो कि मैं तुम्हारे काम आ सकूं,’ नितिन के मुंह से अचानक निकल गया। पूजा ने एक नजर नितीन की तरफ फेरी, फिर मुसकरा कर निगाहें झुका लीं।
नितिन का मन हुआ कि ठंड से कंपकंपाते हुए पूजा के हाथों को अपने हाथों में ले ले लेकिन पूजा कुछ गलत न समझ ले, यह सोच रुक गया। फिर कुछ सोचता हुआ कमरे से बाहर चला गया।
सर्दभरी रात बाहर guest house की छत पर गिरते बर्फ से टपकते पानी की आवाज अभी भी आ रही है।पूजा ठंड से सिहर रही थी कि तभी कौफी का मग बढ़ाते हुए नितिन ने कहा, ‘यह लीजिए, थोड़ी गरम व कड़क कौफी।’
तभी दोनों के हाथों का पहला हलका सा स्पर्श हुआ तो पूरा शरीर सिहर उठा। एक बार फिर दोनों की नजरें टकरा गईं पूरे सफर के बाद अभी पहली बार पूरी तरह से पूजा की तरफ देखा तो देखता ही रह गया। कब मैं ने पूजा के होंठों पर kiss कर दिया, पता ही नहीं चला। फिर मौन स्वीकृति से थोड़ी देर में ही दोनों एकदूसरे की आगोश में समा गए।
सांसों की गरमाहट से बाहर की ठंड से राहत महसूस होने लगी। इस बीच मैं और पूजा एकदूसरे को पूरी तरह कब समर्पित हो गए, पता ही नहीं चला। शरीर की कंपकपाहट अब कम हो चुकी थी। दोनों के शरीर थक चुके थे पर गरमाहट बरकरार थी।
रात कब गुजर गई, पता ही नहीं चला। सुबह-सुबह जब बाहर पेड़ों, पत्तों पर जमी बर्फ छनछन कर गिरने लगी तो ऐसा लगा मानो पूरे जंगल में किसी ने तराना छेड़ दिया हो। इसी तराने की हलकी आवाज से दोनों जागे तो मन में एक अतिरिक्त आनंद और शरीर में नई ऊर्जा आ चुकी थी। मन में न कोई अपराधबोध, न कुछ जानने की चाह बस, एक मौन के साथ फिर मैं और पूजा साथसाथ चल दिए।