नव्या मैंने तुम्हे कल कुछ letters type करने के लिए दिए थे वो काम हो गया क्या? office बाबू सुरेश जी की आवाज सुन कर नव्या मोबाइल पर chat करती हुई घबरा गयी। उस ने सुरेश जी को ‘good morning ’ कहा और अपने अधूरे काम को पूरा करने लग गयी यह देखते ही सुरेश जी का पारा चढ़ गया।
और कहने लगे न तुम अपना काम time पर करती हो न सही ढंग से करती हो आजकल तुम्हारा ध्यान काम पर नहीं है।
‘‘सर,आप चिंता न करें, में सब सही ढंग से कर दूंगी नव्या बोली। सुरेश जी कुछ तीखा कहते उस से पहले ही नव्या का phone बज उठा और वह लापरवाही से ‘excuse me कहती हुई अपना मोबाइल ले कर बाहर निकल गई।आधा घंटा के बाद नव्या वापस आई तो देखा सुरेश जी computer पर खुद letters को type कर रहे थे।
‘‘आप रहने दीजिए सर मैं टाइप कर देती हूं,’’ नव्या ने उन के पास जा कर कहा।
‘boss आते ही होंगे… letters तैयार नहीं मिले तो गुस्सा करेंगे…’’ सुरेश जी ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा।
नव्या बोली‘‘सर तो आज lunch के बाद आएंगे… boss के साथ meeting में जा रहे हैं,।’’
‘‘तुम्हें कैसे पता?’’ सुरेश जी बोले।
वह कल सर फोन पर boss से बात कर रहे थे. तब मैं ने सुना था,’’ काव्या को लगा मानो उस की चोरी पकड़ी गई हो. वह घबरा गई और फिर सुरेश जी से letters ले कर चुपचाप type करने लगी।
नव्या को office join किए लगभग 4 साल हो गए थे। अपने पापा की मृत्यु के बाद उसे यहां क्लर्क की नौकरी मिल गई थी और सुरेश जी ने ही उसे office का सारा काम सिखाया था। इस नाते से भी वह उन्हें पिता सा सम्मान देती थी। शुरुआत में जब उस ने join किया था तो बहुत उत्साह था उस में हर नए काम को सीखने का मगर जब से ये नए boss आकाश आए हैं, नव्या का मन तो बस उन के इर्दगिर्द ही घूमता रहता है।
नव्या का कुंआरा मन आकाश को देखते ही दीवाना सा हो गया था,लम्बी कद काठी और गोरा रंग और बातचीत का अंदाज तो इतना अच्छा की की किसी को भी अपना दीवाना बना दे। नव्या का मन करता था की बस वे बोलते ही रहें और वह सुनती रहे… ऐसे ही जीवनसाथी की तो कल्पना की थी उस ने अपने लिए।
जिस दिन आकाश के साथ नव्या की office date होती थी, वह बड़े ही मन से ready हो कर आती थी। कभी कभी अपने हाथ से बने sneaks भी आकाश को खिलाती थी।नव्या को लगता था जैसे वह हर डेट के बाद आकाश के और भी करीब आ रही है आकाश पता नहीं क्या था आकाश की गहरी आंखों में कि उस ने एक बार झांका तो बस उन में डूबती ही चली जाती।
आकाश को शायद नव्या की मनोदशा का कुछ कुछ अंदाजा हो गया था, इसलिए वह अब नव्या को अपनेoffice में अकेले कम ही बुलाता था। एक बार बातों बातों में आकाश ने उस से अपनी पत्नी रिया और 2 बच्चों बिहान और रिहान का जिक्र भी किया था बच्चों में तो नव्या ने दिलचस्पी दिखाई थी, मगर पत्नी का जिक्र आते ही उस का मुंह उतर गया, जिसे आकाश की अनुभवी आंखों ने फौरन ताड़ लिया था।
पिछले साल जब आकाश अपने बच्चों के साथ गरमी की छुट्टियों में शिमला घूमने गया था उस की गैरमौजूदगी में नव्या को पहली बार यह fell हुआ कि आकाश उस के लिए कितना जरूरी हो गया है। मनन का खाली office उसे काटने को दौड़ता था। आखिरकार उस ने व्हाट्सऐप पर आकाश message किया।
‘‘missing you … come soon .’’
let night message देखने के बाद आकाश ने reply में सिर्फ 2 smiley भेजीं मगर वे भी नव्या के लिए अमृत की बूंदों के समान थीं। 1 हफ्ते बाद जब आकाश office आया तो उसे देखते ही काव्या खिल उठी उस ने थोड़ी देर तो आकाश के बुलाने का इंतजार किया, फिर खुद ही उस के office में जा कर उस के trip के बारे में पूछने लगी।
जब आकाश का birthday था तो नव्या ने आकाश को सुबह-सुबह फोन किया, ‘‘Happy birthday sir.’’
‘‘Thank You so much मगर तुम्हें कैसे पता?’’ आकाश ने पूछा
‘‘यही तो अपनी खास बात है सर… जिसे यादों में रखते हैं उस की हर बात याद रखते हैं,’’ नव्या ने शायराना अंदाज में कहा।
आकाश उस के बचपने पर मुसकरा उठा।
नव्या बोली ‘‘सिर्फ थैंकयू से काम नहीं चलेगा… treat तो बनती है…’’
‘‘of course … बोलो कहां लोगी?’’
‘‘जहां आप ले चलो… आप साथ होंगे तो कहीं भी चलेगा…’’ नव्या धीरे-धीरे मुद्दे की तरफ आ रही थी अंत में तय हुआ कि आकाश उसे मैटिनी शो में film दिखाएगा। की कल्पना उस ने आकाश से कहा कि film के टिकट वह online book करवा लेगी।
फिल्म बहुत ही comedy थी नव्या हर पंच पर हंसहंस के दोहरी हुई जा रही थी। 1-2 बार तो वह आकाश के कंधे से ही सट गई। इंटरवेल के बाद एक डरावने से seen को देख कर उस ने आकाश का हाथ कस कर थाम लिया और पूरी film में उसे पकड़े रखा आकाश ने भी हाथ छुड़ाने की ज्यादा कोशिश नहीं की।
film खत्म होते ही हौल खाली होने लगा नव्या ने कहा, ‘‘2 मिनट रुक जाते हैं. अभी भीड़ बहुत है,’यह लो… आप से treat तो ले ली और birthday gift दिया ही नहीं… आप अपनी आंखें बंद कीजिए…’’
आकाश ने जैसे ही अपनी आंखें बंद कीं, नव्या ने एक गहरा kiss उस के होंठों पर रख दिया। आकाश ने ऐसे surprise gift की कभी कोई कल्पना नहीं की थी उस का दिल तेजी से धड़कने लगा और अनजाने मै ही उस के हाथ नव्या की body लिपट गए।
नव्या के लिए यह एक दम अनछुआ एहसास था। उस का रोमरोम भीग गया। वह आकाश के कान में धीरे से बुदबुदाई, ‘‘यह जन्मदिन आप को जिंदगी भर याद रहेगा।’’
आकाश अभी भी असमंजस में था कि इस राह पर कदम आगे बढ़ाए या फिर यहीं रुक जाए…
जब भी नव्या आकाश के साथ होती तो आकाश उसे एक समर्पित प्रेमी सा लगता और जब वह उस से दूर होती तो उसे यह महसूस होता जैसे कि आकाश से उस का रिश्ता ही नहीं है… जहां नव्या हर वक्त उसी के खयालों में खोई रहती, वहीं आकाश के लिए उस का काम उस की पहली priority थी और उस के बाद उस के बच्चे नव्या office से जाने के बाद भी आकाश के contact में रहना चाहती थी, मगर मनन आकाश के बाद न तो उस का फोन उठाता था और न ही किसी मैसेज का reply देता था।
एक दिन सुबह-सुबह आकाश ने नव्या को office में बुला कर कहा, ‘‘नव्या , मुझे घर पर मैसेज मत किया करो… घर जाने के बाद बच्चे मेरे मोबाइल में गेम खेलने लगते हैं… ऐसे में कभी तुम्हारा कोई मैसेज किसी के हाथ लग गया तो बवाल मच जाएगा।’’
‘‘क्यों? क्या तुम डरते हो?’’ नव्या ने उसे ललकारा।
‘‘बात डरने की नहीं है… यह हम दोनों का निजी रिश्ता है. इसे सार्वजनिक कर के इस का अपमान नहीं करना चाहिए… कहते हैं न कि खूबसूरती की लोगों की बुरी नजर लग जाती और मैं नहीं चाहता कि हमारे इस खूबसूरत रिश्ते को किसी की नजर लगे,’’ आकाश ने नव्या को बातों के जाल में उलझा दिया, क्योंकि वह जानता था कि प्यार से न समझाया गया तो नव्या अभी यही रोना-धोना शुरू कर देगी।
नव्या आकाश को पूरी तरह से अपना बनाना चाहती थी।आखिर नव्या को एक तरीका सूझ ही गया।
आकाश अभी office के लिए घर से निकला ही था कि नव्या का फोन आया।
बेहद कमजोर सी आवाज में उस ने कहा, ‘‘आकाश , मुझे तेज बुखार है और मां भी घर पर नहीं है नानी के घर गई हुई हैं।please , मुझे दवा ला दो।
आकाश ने रास्ते में एक medical स्टोर से बुखार की दवा ली और नव्या के घर पहुंचा।
उसने doorbell बजाई तो अंदर से आवाज आई, ‘‘दरवाला खुला है, आ जाओ.’’
आकाश अंदर आ गया आज पहली बार वह नव्या के घर आया था। नव्या बिस्तर पर लेटी हुई थी। आकाश ने इधर उधर देखा, घर में उन दोनों के अलावा और कोई नहीं था।
आकाश ने प्यार से नव्या के सिर पर हाथ रखा तो चौंक उठा और बोला, ‘‘अरे, तुम्हें तो बुखार है ही नहीं।’’
नव्या उस से लिपट कर सिसक उठीऔर रोते-रोते बोली, ‘‘आकाश , मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती… मैं नहीं जानती कि मैं क्या करूं… तुम्हें कैसे अपने प्यार की गहराई दिखाऊं… तुम्हीं बताओ कि मैं ऐसा क्या करूं जिस से तुम्हें पा सकूं… हमेशा के लिए अपना बना सकूं…’’
‘‘मैं तो तुम्हारा ही हूं पगली… क्या तुम्हें अपने प्यार पर भरोसा नहीं है?’’ आकाश ने उस के आंसू पोंछते हुए कहा।
‘‘भरोसा तो मुझे तुम पर अपनेआप से भी ज्यादा है,’’ कह कर नव्या उस से और भी कस कर लिपट गई।
‘‘बिलकुल सिरफिरी हो तुम,’’ कह कर आकाश उस के बालों को सहलाता-सहलाता उस के आंसुओं के साथ बहने लगा। तनहाइयों ने उन का भरपूर साथ दिया और दोनों एकदूसरे में खोते चले गए अपना मन तो नव्या पहले ही उसके नाम कर चुकी थी आज अपना तन भी उस ने अपने आकाश को सौंप दिया था। शादीशुदा आकाश के लिए यह कोई अनोखी बात नहीं थी, मगर नव्या का कुंआरा तन पहली बार प्यार की सतरंगी फुहारों से तरबतर हुआ था। आज उस ने पहली बार कायनात का सब से वर्जित फल चखा था।
नव्या अब बेफिक्र थी कि उस ने आकाश को पूरी तरह से पा लिया है। झूम उठती थी वह जब आकाश उसे प्यार से सिरफिरी कहता था। मगर उस का यह खुमार भी जल्द ही उतर गया. 2-3 साल तो मनन के मन का भौंरा नव्या के तन के पराग पर मंडराता रहा, मगर फिर वही आकाश फिर से अपने काम की तरफ झुकने लगा और नव्या को नजरअंदाज करने लगा और वह परेशानी में और भी अधिक दीवानी होने लगी।
कहते हैं न कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपता… उन का रिश्ता भी पूरे विभाग में चर्चा का विषय बन गया। लोग सामने तो आकाश की गरिमा का खयाल कर लेते थे, मगर पीठ पीछे उसे नव्या का भविष्य बरबाद करने के लिए जिम्मेदार ठहराते थे हालांकि आकाश तो अपनी तरफ से इस रिश्ते को नकारने की बहुत कोशिश करता था, मगर नव्या का दीवानापन उन के रिश्ते की हकीकत को बयां कर ही देता था।
बात उड़तेउड़ते दोनों के घर तक पहुंच गई। जहां नव्या की मां उस की शादी पर
जोर देने लगीं, वहीं पूजा ने भी आकाश से इस रिश्ते की सचाई के बारे में कई सवाल खड़े कर दिए। पूजा को तो आकाश ने अपने शब्दों के जाल में उलझा लिया था। मनन काव्या से प्यार तो करता था, मगर एक पिता की जिम्मेदारियां भी बखूबी समझाता था. वह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहता था।
इधर नव्या की दीवानगी भी आकाश के लिए परेशानी का कारण बनने लगी थी। एक दिन उसने ने आकाश को अकेले में मिलने के लिए बुलाया आकाश को उस दिन पूजा के साथ बच्चों के स्कूल parent teacher meeting में जाना था, इसलिए उस ने मना कर दिया यही बात नव्या को नागवार गुजरी। वह आकाश को फोन करने लगी, मगर आकाश ने अपना मोबाइल को साइलैंट मोड पर डाल दिया meeting से free हो कर उसने फोन देखा तो नव्या की 20 missed call देख कर उस का सिर चकरा गया और एक मैसेज भी था कि अगर मुझ से मिलने नहीं आए तो मुझे हमेशा के लिए खो दोगे
‘‘सिरफिरी है, कुछ भी कर सकती है,’’ सोचते हुए आकाश ने उसे फोन लगाया। सारी बात समझाने पर नव्या ने उसे घर आ कर sorry बोलने की शर्त पर माफ किया।इतने दिनों बाद अकेले में मिलने पर दोनों का बहकना तो स्वाभाविक ही था।
काव्या ने कहा, ‘‘आकाश , हमारे रिश्ते का भविष्य क्या है? सब लोग मुझ पर शादी करने का दबाव बना रहे हैं।’’
‘‘सही ही तो कर रहे हैं सब अब तुम्हें भी इस बारे में सोचना चाहिए,’’ आकाश ने कपड़े पहनते हुए कहा।
‘‘शर्म नहीं आती तुम्हें मुझ से ऐसी बात करते हुए… क्या तुम मेरे साथ बिस्तर पर किसी और की कल्पना कर सकते हो?’’ नव्या ने चिल्लाते हुए कहा।
‘‘नहीं कर सकता… मगर हकीकत यही है कि मैं तुम्हें प्यार तो कर सकता हूं और करता भी हूं, मगर एक सुरक्षित भविष्य नहीं दे सकता,’’ आकाश ने उसे समझाने की कोशिश की।
‘‘मगर तुम्हारे बिना तो मेरा कोई भविष्य ही नहीं है,’’ नव्या के आंसू बहने लगे।
आकाश समझ नहीं पा रहा था कि इस सिरफिरी को कैसे समझाए। तभी उसका जरूरी कौल आ गया और वह नव्या को हैरानपरेशान छोड़ चला गया। नव्या को शक होने लगा कि क्या आकाश उस का इस्तेमाल कर रहा है… उसे धोखा दे रहा है?
नहीं, बिलकुल नहीं… आकाश ने कभी उस से शादी का कोई झूठा वादा नहीं किया, बल्कि प्यार की पहल खुद उसी ने की थी… उसी ने आकाश को force क्या था अपने पास आने के लिए …’’ नव्या अपने आप से बोली।
काव्य एक अजीब सी कश्मकश में फस गयी थी उसे समझ नहीं आरा था की वो क्या करे एक तरफ वो आकाश से बेइंतेहा प्यार करती थी मगर उस पर अधिकार नहीं था दूसरी तरफ वो अपने आने वाले हर रिश्ते को नकारती जा रही थी।
इसी बीच आकाश का promotion के साथ ही मनन का दूसरे section में हो गया।
एक दिन नव्या को कहीं से खबर मिली कि आकाश विभाग की तरफ से किसी training के लिए चेन्नई जा रहा है और फिर वहीं 3 साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर रहेगा। नव्या को सदमा सा लगा। वह सुबह-सुबह उस के office में पहुंच गई। और वह वहीं बैठ कर उस का इंतजार करने लगी। जैसे ही आकाश office में घुसा नव्या फूट-फूट कर रोने लगी। रोतेरोते बोली, ‘‘इतनी बड़ी बात हो गई और तुम ने मुझे बताने लायक भी नहीं समझा?’’
आकाश घबरा गया। उस ने फौरन office का गेट बंद किया और नव्या को पानी का गिलास थमाया।वह कुछ शांत हुई तो मनन बोला, ‘‘बता देता तो क्या तुम मुझे जाने देतीं?’’
‘‘इतना अधिकार तो तुम ने मुझे कभी दिया ही नहीं कि मैं तुम्हें रोक सकूं,’’ नव्या ने गहरी निराशा से कहा।
‘‘नव्या , मैं जानबूझ कर तुम से दूर जाना चाहता हूं ताकि तुम अपने भविष्य के बारे में सोच सको, क्योंकि मैं जानता हूं कि जब तक मैं तुम्हारे आसपास हूं, तुम मेरे अलावा कुछ और सोच ही नहीं सकती. मैं इतना प्यार देने के लिए हमेशा तुम्हारा शुक्रगुजार रहूंगा…’’
‘‘मैं अपने स्वार्थ की खातिर तुम्हारी जिंदगी बरबाद नहीं कर सकता. मुझे लगता है कि हमें अपने रिश्ते को यही छोड़ कर आगे बढ़ना चहिए। मैं ने तुम्हें हमेशा बिना शर्त प्यार किया है और करता रहूंगा। मगर मैं इसे सामाजिक मान्यता नहीं दे सकता… काश, तुम ने मुझे प्यार न किया होता… मैं तुम्हें प्यार करता हूं, इसीलिए चाहता हूं कि तुम हमेशा खुश रहो… हम चाहे कहीं भी रहें, तुम मेरे दिल में हमेशा रहोगी…
नव्या ने अपने आंसू पोंछ, फिर से मुसकराई, फिर उठते हुए आकाश से हाथ मिलाते हुए बोली, ‘‘नए project के लिए all the best… चलो एक बार फिर से, अजनबी बन जाएं हम दोनों… और हां, मुझे पहले प्यार की अनुभूति देने के लिए शुक्रिया…’’ और फिर आत्मविश्वास के साथ office से बाहर निकल गई।