अनामिका जो एक housewife थी वो रोज़ की तरह अपने कामो में busy थी। काम से free होकर उसे जिम जाना था। उसका वज़न बढ़ने लगा था, जो कपड़े उसने बड़े ही शौक़ से शादी और हनीमून के लिए ख़रीदे या सिलवाए थे सब tight होने लगे थे और उसे वापिस पहले जैसा ही fit होना था। इसलिए उसने जिम join कर लिया था उसका husband बहुत रोक-टोक करने वाला आदमी था। जिम जाने से पहले ही उसने अनामिका को बोल दिया था कि ladies timing पर जाए और घर से सलवार सूट में जाए और जिम जाकर ही जिम की dress पहने। कभी-कभी अनामिका उसकी इन बातों से बहुत चिढ़ती थी। अनामिका ने MBA किया था वो और गौरव साथ ही काम करते थे पहचान बढ़ी फिर दोनों ने शादी कर ली।
अनामिका का phone बजने लगा kitchen में काम करती हुई वह phone की तरफ भागी। phone उसके ससुर का था।
उसने मीठी आवाज़ में कहा ‘हेलो पापा जी..प्रणाम,”।
ससुर जी ने कुछ note करने को कहा तो वो अन्दर के कमरे में पेन और पेपर लेने गयी। फ़ोन रखने के बाद उसका दिमाग़ ग्यारह साल पीछे चला गया। paper पर लिखाया गया वो नाम एक बड़ी company के CEO का था, जो उसके पति गौरव को उसकी company में job दिलवाने में मदद कर सकता था पर उस नाम की उसे दस साल से तलाश थी पता नहीं कितनी दुआएं मांगी थी उसने, कितनी बार मन्नतें मांगी… बस, ये नाम और उसका कोई पता उसे मिल जाए पर कुछ नहीं हुआ और आज इतनी आसानी से ये नाम उसकी झोली में आ गिरा, जब वो उसे भूलने लगी थी।
चौदह साल की थी जब सनी उसके साथ ही tuition पढ़ने आता था और न जाने कब अनामिका को उससे प्यार हो गया। वो सामने से आता दिख जाता तो उसके हाथ पैर फूल जाते दिल की धड़कनें कानों में सुनाई देने लगती गला सूख जाता नज़र चुराकर कितनी बार उसे देख लेती वो कभी उसे देख मुस्करा देता तो वो मुंह बना लेती जैसे उसे जानती भी न हो! आती जाती हर सांस पर उसका नाम लेने लगी थी…
सनी सनी……. !
और आज उसी इत्तेफाक से “सनी ” का नंबर उसके सामने रखे पेपर पर लिखा हुआ था !
सनी पढ़ने में बहुत intelligent था, अनामिका को बस शाम को tuition जाने का इंतज़ार रहता बाद में सनी ने tuition का वक़्त बदल लिया और फिर उनका आमना -सामना कम होने लगा। वो सारे रास्ते दुआ मांगती कि काश आज वो दिख जाए दो साल निकल गए। 12 वी के Results आ चुके थे। अनामिका ने अपने ज़िले में Top किया था। अनामिका ने सोचा की आज वो सनी के घर जाकर उसे बधाई देगी और उससे दोस्ती की पहल करेगी। वो हिम्मत कर सनी के घर पहुंची तो पता लगा कि उसके पिता का Transfer मेरठ हो गया है। वो एक महीना पहले ही जा चुकेहै। अनामिका यह सुन कर सन्न रह गई और बहुत रोई, बहुत तड़पी धीरे धीरे वक़्त बीतता गया, पर उसके अन्दर सनी के लिए जो प्यार था वो कम नहीं हुआ।
वो हर social site पर सनी को ढूंढती पर उस नाम के न जाने कितने ही नाम सामने आ जाते, उनमें से एक भी उसे पहचाना नहीं लगता। वो अक्सर सोचती कि वो क्या करता होगा? उसके पास बायो था, शायद डॉक्टर बन गया होगा ! फिर वो डॉ सनी नाम से search करती पर उसे उसका पता कह नहीं मिला । फिर गौरव उसे मुंबई में मिला, जो उसके ही शहर का था। गौरव उसे बहुत पसंद करता था, उनकी दोस्ती हो गई और गौरव ने उसे शादी के लिए purpose किया और अनामिका ने उसने ‘हां’ बोल दियाऔर दोनों की शादी। सनी एक उसके दिमाग में एक यादगार लम्हा बन कर रह गया।
फिर बहुत सोचने के बाद उसने सनी का नंबर dial किया।
“hello ,” दूसरी तरफ़ से एक भारी आवाज़ आई।
अनामिका इस आवाज़ को बहुत अच्छे से पहचानती थी। उसके हाथ कांपने लगे मुंह से एक लफ्ज़ नहीं निकला।
“hello ,” उधर से दोबारा आवाज़ आई।
“जी… आप कौन?”
“अनामिका .. अनामिका ठाकुर ! केमिस्ट्री बैच, माथुर सर,” उसने एक सांस में बोल डाला।
“अरे…” वो चौंक कर बोला।
“अनामिका …मैं एक meeting में हूं। अभी फ्री हो कर call करता हूं।”
उसके मुंह से पहली बार अपना नाम सुन अनामिका हवा में उड़ने लगी।
हेलो…अनामिका …ये तुम्हारा ही नंबर है न? मैं call back करूं?’’ उसने पूछा।
उसने कहा “हां।
अब उसका नाश्ता करने का भी मन नहीं कर रहा था। बार बार वो फ़ोन का स्क्रीन देखती। एक घंटा हो गया सनी ने दोबारा फ़ोन नहीं किया।
वो बढ़ बढ़ाने लगी। …….गौरव को पता लगा तो ? वैसे ही बड़ा शक्की है, मुझे अपने बचपन के दोस्तों से तक बात नहीं करने देता।
उसका दिमाग़ फटा जा रहा था। अनमने मन से वो जिम के लिए तैयार हो गई।
ट्रेडमिल पर दौड़ते हुए वो अपने मन से गौतम के ख़्याल को निकाल देने की कोशिश कर ही रही थी कि उसका फ़ोन बजने लगा। उसने स्पीड कम की और घबराए दिल से फ़ोन उठाया।
“I am sorry अनामिका meeting लम्बी खिंच गयी और फिर कोई न कोई office में आता जाता रहा। अब फ़ुरसत से बात कर सकता हूं।”
“तुम्हें मैं याद हूं?”
“कैसे भूल सकता हूं? कहां से बोल रही हो”
“मुंबई से।”
“इतना हांफ क्यों रही हो?”
“जिम में हूं।”
“oho हेल्थ कॉन्शस, तुम तो वैसे ही बहुत fit हो….सनी बोला।”
“ग्यारह साल पुरानी बात बोल रहे हो, जब मैं पंद्रह-सोलह साल की थी। तब तो सभी fit होते हैं।,”
“अनामिका ! तुम्हें मेरा नंबर कहां से मिला?”
अनामिका ट्रेडमिल से उतर गई और साइड में रखे एक स्टूल पर बैठ गई। उसने तौलिए से मुंह पोंछते हुए कहा, सनी पहले तुम promise करो ये बात किसी से नहीं कहोगे
“of course…promise ”
“मेरे Father in low ने ये नंबर दिया है गौरव के लिए। गौरव मेरा हस्बैंड है, जिसने अभी तुम्हारी company में senior manager की post के लिए इंटरव्यू दिया है। मैं पिछले दस साल से तुम्हें तलाश रही थीसनी ! और आज जब मिले हो तो बहुत देर हो चुकी।”
पता है sunny मैंने जीवन में किसी चीज़ की इतनी इच्छा नहीं की, जितनी तुमसे बस एक बार मिलने की।”
“अनामिका, मुझे तुम बहुत पसंद थी पर तुम कितनी चुपचाप रहती थी, कभी हिम्मत नहीं होती थी, तुमसे बात करने की और वो शहर भी तो छोटा था ज़रा-सा नाम भी ले लो तो कहानियां बन जाती थीं।”
‘‘एक बार बात तो की होती,” अनामिका की आवाज़ में नाराज़गी थी।
“डर लगता था अनामिका … विशाल को तुमने भरी सड़क पर कितना सुनाया था, क्यूंकि उसने तुम्हे एक love letter दिया था और तुम्हारा भाई निशांत उसने तो केवल तुम्हारा नाम लेने पर राहुल और अनिल की पिटाई कर दी थी।”
“हाहाहा … जो मुझे पसंद नहीं उसे तो सुनाती ही न..वैसे भी शहर के आधे लड़के तो मेरा पीछा करते ही थे. अगर तुम देते तो शायद …” वो बोलते बोलते रुक गई।
जिम trainer उसे जिम में फ़ोन पर बात न करने का इशारा कर रहा था।
“hello … शायद…क्या…?” सनी बोला
“एक मिनट hold करो,” उसने इशारे से जिम ट्रेनर को sorry बोला और अपना बैग उठा जिम से बाहर निकल आई।
“हां, अब बोलो,”
“बोल तो तुम रही थीं न…मैं तुम्हें love latter देता तो तुम शायद…”
“तो शायद आज हम साथ होते। मैंने तुम्हें कहां-कहां नहीं ढूंढ़ा? क्या फ़ेसबुक, क्या ऑरकुट हर जगह।”
‘‘अनामिका मुझे लगता था शायद तुम मुझे पसंद नहीं करतीं। मैं सिर्फ़ तुम्हारी एक झलक लेने तीन किलोमीटर साइकिल चला कर आता था। और तुम्हारे घर के पास वाले मास्टर से English की tuition भी तो इसलिए लगाई थी, ताकि तुम्हें देख सकूं पर तुम तो मुझे देखते ही उलटे पांव भाग जाती थीं।”
“यार तुम लड़के थे, एक बार तो हिम्मत करते. ज़्यादा से ज़्यादा ‘ना’ ही तो बोलती,”में शरीफ़ लड़का था, क्यों तुम्हें तंग करता जब तुम मुझे देखती तक नहीं थी। “ह्म्म्म…” उसने अपना जिम बैग एक तरफ़ लापरवाही से फेंका और सोफ़े पर
पसर गई।
दस साल तुम्हारा इंतज़ार किया मैंने…एक भी अफ़ेयर नहीं किया B.S.C. की, MBA किया। आख़िर पिछले साल अपने अकेलेपन से छुटकारा पाने को शादी की,गौरव
बहुत चाहता था मुझे सोचा, इसका दिल तो न टूटे!’’
“मैंने भी पिछले साल ही शादी की,” सनी बोला
“अच्छा…कौन-सी तारीख़ को?”
“17 November ”
“मैंने 18 November … तुमसे ठीक एक दिन बाद,” अनामिका ने ठंडी सांस छोड़ी“काश हम एक साल पहले मिल पाते।”
तभी गौरव का फ़ोन आने लगा।
“मैं थोड़ी देर बाद फ़ोन करती हूं,’’ कहकर अनामिका ने फ़ोन काटा और गौरव को फ़ोन लगाया।
“कितनी देर से फ़ोन busy आ रहा है, किससे बात कर रही थीं?” गौरव तल्ख़ी से बोला
“मम्मी से।”
“जिम नहीं गईं आज?”
“गई थी, पर तबियत ख़राब लग रही थी इसलिए लौट आई।”
“क्या हुआ?”
“सिरदर्द हो रहा है बहुत।”
“तो सो जाओ। फ़ोन पर क्यों लगी हुई हो यार?”
“हां, सो जाऊंगी।”
फ़ोन कट गया। उसने चैन की सांस ली और बिस्तर पर आ कर लेट गई। फ़ोन की बैटरी जा रही थी। फ़ोन को charging पर लगा कर उसने दोबारा सनी को फ़ोन लगाया।
“गौरव का फ़ोन था, ग़ुस्सा कर रहा था मेरा फ़ोन busy क्यों आ रहा है?”
‘‘oh , अच्छा इतनी नज़र रखता है तुम पर?” सनी हंसा।
अनामिका ने बात बदल दी “तुम बिज़ी होगे office में?” .
“नहीं मैं बाहर आ गया हूं, office के पास एक coffee shop में ”
“क्यों?”
“बरसों बाद उस लड़की से बात करने जिसे मैं चाहता था, पर डर के मारे कह नहीं सका और आज पता चल रहा है कि वो भी मुझे चाहती थी।
अनामिका ने करवट बदली और तकिए को अपनी बांहों में ले लिया।
“तुम कहां जॉब करती हो?”
“जॉब छोड़ दिया. फ़िलहाल सिर्फ़home maker . कोई स्टार्ट अप शुरू करने का सोच रही हूं. पर तुम तो डॉक्टर बनाना चाहते थे ये सीएस कैसे बन गए?”
“बस ट्वेल्थ के बाद B.com कर लिया, कोई ख़ूबसूरत लड़की ही नहीं मिली फिर ट्यूशन में जिसके साथ बायो पढ़ने का मन करता,” वो ज़ोर से हंसा।
पर यक़ीन नहीं हो रहा आज तुमसे बात कर रही हूं।”
“यक़ीन तो मुझे भी नहीं हो रहा, office बीच में छोड़कर मजनूं की तरह तुमसे बात कर रहा हूं, पर यह सच है अनामिका ।”
“ये भी सच है कि तुम एक दिन चुपचाप शहर छोड़ गए गौतम बुद्ध की तरह मुझे
सोता छोड़ !”
“हाहाहा …वाह, क्या सिमिली यूज़ की है।”
वो चुप रही। मन ही मन वो सनी को महसूस कर रही थी उसके आवाज़ को अपनी आत्मा की गहराई तक उतार लेना चाहती थी।
“मेरा मन कर रहा है अभी तुमसे मिलने मुंबई आ जाऊं।”
“मन तो मेरा भी बहुत कर रहा है। पर अब मिलने का क्या फायदा ? हम तो दस साल पहले ही बिना मिले ही अलग हो गए थे।”
“लेकिन मेरी आत्मा की एक इच्छा थी कि तुम्हें एक बार कह सकूं कि कितना प्यार करती थी मैं तुमको! आज वो इच्छा पूरी हो गई, मन में हमेशा बनी रहने वाली बैचैनी जैसे आज मिट गई।”
“लेकिन मेरी बैचैनी बढ़ गई। जो इच्छा मेरे दिल में दबी रहा गई थी, वो आज पूरी हुई जब मैं उसके बारे में भूल भी चुका था। जैसे वक़्त ग्यारह साल पीछे लौट गया हो..काश मैं एक बार कह ही देता !”
“अब वो वक़्त वापस नहीं आएगा सनी हम दोनों की शादी हो चुकी, सब ठीक चल रहा है दोनों की life में, अब हम मिले तो सब बिखरेगा ही…!”
“हां…शायद तुम सही कह रही हो…
“सनी हम अब कभी बात नहीं करेंगे। वरना मेरा गौरव के साथ रहना मुश्क़िल
हो जाएगा।”
“अनामिका में तुम से हमेशा कहना चाहता था you are a Rare combination beauty with brain. आज लगता है, पिट भी गया होता तुम्हारे भाई से तो घाटा नहीं होता !”
“डरपोक हमेशा घाटा उठाता है। ख़ैर! कम से कम हमारी मोहब्बत मुक़म्मल तो हुई, हम एक दूसरे से कह पाए भले ही आज हमारे रास्ते, दुनिया मीलों दूर हैं।”
“अनामिका तुम बहुत अच्छी हो, thanks जो तुमने मुझे फ़ोन किया। ज़िंदगी में ऐसा इत्तफ़ाक भी होगा सोचा नहीं था।”
“मेरा number delete कर देना और ख़ुश रहना हमेशा…” अनामिका ने कहा।
“तुम भी ख़ुश रहना,
Bye “नेहा”
Bye सनी
फ़ोन कट गया था।
दोनों ने अपनी आंखें बंद कर लीं। आंसू बंद आंखों के कोने से दबे पांव बह निकले।
nice story