आज हम तुषार कपूर के बारे में जानते है की कैसे वो अपने बेटे की परवरिश करते है और कैसे उसके साथ अपने busy schedule में से time निकलते है। तुषार कपूर का कहना हे की वो दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत पल था। जिस दिन लक्ष्य मेरे घर मैं और मेरी ज़िंदगी में आया था। मुझे लगता है कि जब से लक्ष्य मेरे घर आया है, तब से मेरी ज़िंदगी में सब कुछ बेहद ख़ूबसूरत और सुहावना हो गया है। लक्ष्य के मेरे जीवन में आने के बाद मैं ख़ुद को पहले से ज़्यादा ज़िुम्मेदार और धैर्यवान महसूस करने लगा हूं। मेरी life काफी busy हो गई है। अब मैं शूटिंग करूं या न करूं, लेकिन busy रहता हूं और यह सब काफी अच्छी feeling देता है। मुझे लगता है कि मैंने जिंदगी के हर पल को जीना लक्ष्य के आने के बाद सीखा लिया है।
“कुछ महीनों से लक्ष्य ने play school जाना शुरू कर दिया है और हर रोज़ मैं सुबह 9 बजे उसे स्कूल छोड़ते हुए जिम जाता हूं और 11 बजे जिम से लौटते वक़्त उसे school से लेते हुए घर आता हूं। घर पर 11 से 1 के बीच का समय हम दोनों मिल कर spend हैं। उसके बाद 1 बजे मैं office जाता हूं और तक़रीबन साढ़े चार बजे office से लौटता हूं। office से लौटने के बाद मेरा सारा समय लक्ष्य का होता है। मैं उसके साथ खेलता हूं। लक्ष्य को आउटडोर activities पसंद हैं, इसलिए कभी उसे बाहर play area तो कभी park लेकर जाता हूं। अगर कभी बाहर नहीं जा पाते तो हम लोग घर पर ही मस्ती करते हैं ख़ूब खेलते हैं। रात को लक्ष्य के सोने से पहले भी मैं उससे बात करता हूं और जब वह सो जाता है तो मेरी ज़िंदगी शुरू होती है यानी मैं कोई किताब पढ़ता हूं, ज़रूरी Emails करता हूं, या कोई और ज़रूरी काम होता है तो उसे करता हूं।
“अक्सर मुझसे पूछा जाता है कि single Father को किस तरह के challenges का सामना करना पड़ता है? लेकिन मुझे चैलेंज जैसा कुछ नहीं लगता। दरअस्ल, अगर आप छोटी-छोटी बातों पर तनाव नहीं लेते, positive रहते हैं, तो कोई भी बात आपको परेशान नहीं कर सकती। हां, single father होना थोड़ा time consuming है। इसलिए single father की time management strong होनी चाहिए। जहां तक लक्ष्य को संभालने का सवाल है तो वह काफ़ी happy और friendly है, इसलिए उसे संभालने में कोई ख़ास challenges नहीं आते। बस उसके बाल कटवाते समय थोड़ी परेशानी होती है. उसे बिल्कुल पसंद नहीं कि कोई उसे छुए, उसके बाल काटने की कोशिश करे। लेकिन बाल तो कटवाने ही होते हैं, इसलिए वहां थोड़ा स्ट्रेस होता है।
“कई बार ऐसी स्थितियां होती हैं, जिनमें बच्चा सहज महसूस नहीं करता। वह परेशान हो उठता है और आपको अलग-अलग तरीक़ों से उसे शांत करना और समझाना पड़ता है। बच्चा रेग्युलरली इन परिस्थितियों का सामना नहीं करता, इसलिए इम्मैच्योरिटी की वजह से वह situation deal नहीं कर पाता। ऐसे में smartly और तेज़ी से सोचते हुए single parent को situation handle करनी आनी चाहिए।”